वो धुऐं का गुबार लबों से निकला पेशानी से उपर हुआ उंगलियो से बुझती राख़ ज़मी से मिली ज़ेहन से एक ख़्याल फिर ओझल हुआ Arz-ए-SAYE(D) वो धुऐं का गुबार लबों से निकला पेशानी से उपर हुआ उंगलियो से बुझती राख़ ज़मी से मिली ज़ेहन से एक ख़्याल फिर ओझल हुआ Arz-ए-SAYE(D)