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अंगार की पुकार सुन तू चल नई एक राह चुन, है प्रज्ज्

अंगार की पुकार सुन तू चल नई एक राह चुन,
है प्रज्ज्वलित इतिहास की धारा विवेचित राग सुन।
काया क्लेश मिटा के सब हर कांधे पर एक हांथ धर,
तू जल तपिश की आग में जिसमें हो पुलकित देश भर।
न होगी कभी अविरामित गाथा ये बलिदान की  ,
तू आज नई एक सोच रख काया पलट वर्तमान की ।
भुखमरी गरीबी जैसे शब्दों का भी अंत कर,
तू रच नए समाज को जिसमें हो मुखरित देश भर।
ये घूसखोरी का अंत कर तू अब नई एक रीति रख,
भ्रष्टों का तख्ता पलटने की आक्रोशित राजनीति रख ।
वो जा चुके कई दशक जो थे अंधेरी रात के ,
अब आ गई है वह सदी जो है विवेचित प्रकाश में ।
माया के जाल को नष्ट कर तू बन नया भविष्य अब ,
जो चल रहा था आज तक मिटा से उस भरम तो तब।


- दीपांशी श्रीवास्तव society
अंगार की पुकार सुन तू चल नई एक राह चुन,
है प्रज्ज्वलित इतिहास की धारा विवेचित राग सुन।
काया क्लेश मिटा के सब हर कांधे पर एक हांथ धर,
तू जल तपिश की आग में जिसमें हो पुलकित देश भर।
न होगी कभी अविरामित गाथा ये बलिदान की  ,
तू आज नई एक सोच रख काया पलट वर्तमान की ।
भुखमरी गरीबी जैसे शब्दों का भी अंत कर,
तू रच नए समाज को जिसमें हो मुखरित देश भर।
ये घूसखोरी का अंत कर तू अब नई एक रीति रख,
भ्रष्टों का तख्ता पलटने की आक्रोशित राजनीति रख ।
वो जा चुके कई दशक जो थे अंधेरी रात के ,
अब आ गई है वह सदी जो है विवेचित प्रकाश में ।
माया के जाल को नष्ट कर तू बन नया भविष्य अब ,
जो चल रहा था आज तक मिटा से उस भरम तो तब।


- दीपांशी श्रीवास्तव society

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