"साजिश जोरों पे है क्योंकि नाम हो रहा है,बदनामी कर रहे हैं क्योंकि शायरी को सलाम हो रहा है.
ना जाने सामने क्यों नही आते,इस पत्थर से आ के क्यों नही टकराते.
में भी तैयार हुए बैठा हूं हाथों में क़लम हथियार लिए बैठा हूं.
कोई हाथ आ गया तो निपटा दूंगा क़लम काम ना आई तो हाथों से ही सिमटा दूंगा.
फालतू की कहानियां में नही लिखता बिगड़े बच्चों के आगे में नही गिरता.
पीठ पीछे खंजर चलाना काम गद्दार का है,ना लो पंगा इदर नाम के साथ है सिंह और रुतबा सरदार का है।"