बारीश रात को बारीश बरसती रही सर्द यादों को फिरसे लाती रही बुंद बुंद बरसात यू गिरती ग ई ना जाने मन मे सोई प्यास जगाती रही रिम झिम रिम झिम नगमे गाती रही न जाने कौनसा गीत सुनाती रही बुंदोकी झनक कंगण की खनक रातभर भुली यादों को दोहराती रही #राज #कल्पना की दुनिया में