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बारीश रात को बारीश बरसती रही सर्द यादों को फिरसे

बारीश 
रात को बारीश बरसती रही 
सर्द यादों को फिरसे लाती रही
बुंद बुंद बरसात यू गिरती ग ई
ना जाने मन मे सोई प्यास जगाती रही

रिम झिम रिम झिम नगमे गाती रही 
न जाने कौनसा गीत सुनाती रही 
बुंदोकी झनक कंगण की खनक 
रातभर भुली यादों को दोहराती रही #राज #कल्पना की दुनिया में
बारीश 
रात को बारीश बरसती रही 
सर्द यादों को फिरसे लाती रही
बुंद बुंद बरसात यू गिरती ग ई
ना जाने मन मे सोई प्यास जगाती रही

रिम झिम रिम झिम नगमे गाती रही 
न जाने कौनसा गीत सुनाती रही 
बुंदोकी झनक कंगण की खनक 
रातभर भुली यादों को दोहराती रही #राज #कल्पना की दुनिया में