कभी-2 हम अपने ही हाथों, अपना दिल दुखाते हैं, ना चाहते हुए भी, खुद पर ही ज़ुल्म ढ़ाते हैं। ना गिला कर पाते हैं, ना किसी को दोष दे पाते हैं, कटघरे में खुद को ही मायूस, बेबस, खड़ा पाते है। अपनी खुशियों को, मजबूरी की भेंट चढ़ाते हैं, औरों की खुशी के लिए, खुद सूली पर चढ़ जाते हैं । कभी-2 हम अपने ही हाथों, अपना दिल दुखाते हैं, ना चाहते हुए भी, खुद पर ही ज़ुल्म ढ़ाते हैं। #दिल