अपने ही चाल चलते जा रहे है; खुद का काम करते जा रहे है... गरीब की फ़िक्र किसी को नहीं; अमीर अपनी जेब भरते जा रहे है... नेताओं का ईमान बिक गया है; सरहद पर जवान मरते जा रहे है... हवस की भूख इतनी बढ़ गयी; रिश्ते अपनी कीमत खोते जा रहे है... मानवता अब दुनिया में बची नहीं; बच्चियों को हैवान नोचते जा रहे है...!!! khan