तुमने हर ख्याल बांध लिए अपनी आंखों से, ज़रा सा मेरे ख्याल को अपना नज़र तो दिया होता, मै तुम्हारी आंखो का सितारा बनने को बेकरार था, ज़रा सा मेरे हुनर पे ऐतबार तो किया होता, अपनी तस्वीर में छिपा रखे थे मैंने तुम्हारी खुशियों को, ज़रा सा मेरे तस्वीर को तुमने अपना संसार तो किया होता, ये तुम्हारे ज़ुल्फो में बसता है एक कतरा इश्क़ का, ज़रा सा मेरे उंगलियों को उनमें गिरफ्तार तो किया होता, शहर के सारे दिए अब नमकीन पानी से जलते है, ज़रा सा अपने खुशियों को रूह सा वफादार तो किया होता, तुमने हिज्र की आजमाइस की और ज़िन्दगी नोच ली, ज़रा सा इस ज़िन्दगी को इश्क़ से खबरदार तो किया होता, अब मिलो तो प्रभु, ना मिलो तो न रह सकू प्रभु का आलम है, ज़रा सा अपने खातिर इस ज़माने को नजरंदाज तो किया होता !!