सपनों की उडा़न धरती से ही भरनी होगी। ये मेहनत आज नहीं तो कल करनी ही होगी... रातों को सबेरा और सबेरे को रात बनाना ही होगा। जहाँ पहुँचने का सोच रहे हो तुम... उसका रास्ता खुद तुम्हें ही बनाना होगा... कवि चंचल शर्मा✍️