कौन पहचाने मुझे अनजान सफर की रेत हूं,,हवा में उड़ती धूल कभी,,कभी तूफानों में गूंजता शोर हूं. वक़्त की रखता ऐसी चाल हूं,,बातों में रखता जाल हूं,,ना समझो कमजोर मिट्टी का पुतला भाई,,में तो सूरज की चक्की मैं पिसा ज़ोर हूं। ज़ोर#✍️6.1aman💥💥 किताबें खुद पड़ेंगी मुझे✍️6.1aman💥💥 #nojotohindi#hindishayari#punjabishayari#urdushayari#nojotonews Ruchika kaur B 😊😊