वो पलकों पे ठहरे हुए चंद लम्हे कि जिनमें चाहत का इक आसमां था उसी से चिरागों मे थी रौशनी भी उसी से तो रौशन ये सारा जहां था जिसे तुम कयामत समझते रहे थे वही तो खुशी का छुपा सायबां था वो झुकती निगाहें, वो दिलकश अदाएं यही फ़लसफ़ा था यही इम्तेहां था वो नज्मों में ढलते हुए चंद लम्हे जिन्हें तुमने छू कर कहीं कुछ कहा था हैं मेरी अमानत वो अहसास तेरे, जिन्होंने बसाया मेरा आशियां था मेरी ये गज़ल सिर्फ मेरी नहीं है इसे तुमने सदियों से पहले लिखा था मेरे सारे जज़बात तुमसे जवां हैं तुम्हीं ने तो इनको मुहब्बत कहा था #NojotoQuote मुहब्बत