Nojoto: Largest Storytelling Platform

तंग हाथों में के सनसनी सी उठती हैं जरूरतें गीन कर,

तंग हाथों में के सनसनी सी उठती हैं जरूरतें गीन कर,
आंखें रोज आस में सो जाती हैं ख्वाहिशें बुन कर,
यूं अदावती मिज़ाज में ये दुनियां नोट छीनती है,
और फिर भूल जाती है हालात बता कर। क्या आप भी कभी किसी की घीसी चादर को चीरने से चूकना नहीं चाहेंगे?
तंग हाथों में के सनसनी सी उठती हैं जरूरतें गीन कर,
आंखें रोज आस में सो जाती हैं ख्वाहिशें बुन कर,
यूं अदावती मिज़ाज में ये दुनियां नोट छीनती है,
और फिर भूल जाती है हालात बता कर। क्या आप भी कभी किसी की घीसी चादर को चीरने से चूकना नहीं चाहेंगे?

क्या आप भी कभी किसी की घीसी चादर को चीरने से चूकना नहीं चाहेंगे? #Shayari