चलो हँसने की कोई हम वजह ढूंढते हैं, जिधर ना हो कोई गम वो जगह ढूंढते हैं, बहुत उड़ लिये ऊंचे आसमानों में यारो, चलो ज़मी पे ही कहीं हम सतह ढूंढते हैं, छूटा संग कितनो का ज़िन्दगी की जंग में, चलो उनके दिलों की हम गिरह ढूंढते हैं, बहुत वक़्त गुज़रा भटकते हुए अंधेरों में, चलो अंधेरी रात की हम सुबह ढूंढते हैं, #$uhail $hah #Inspiration