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दिन के निकलनेसे खिले खिले आसमा मै ढलने का जो आयाम

दिन के निकलनेसे खिले खिले आसमा मै 
ढलने का जो आयाम नजराना है,
हर तरफ सुकून शांती रंगो में बिखरी बेसबाब गुंजती खामोशीया है.
हर मोड किस्मत से चलती, खुदकेही छाव का आशियाना है,
महफिल ना रहने से,वजूद मिटते दिल मै भी झलकती खामोशिया है.
कभी तारो के बिच चमकता चांद झुमता तो बिना उनके उदास है,
भटकते राही कि भूचाल सी जिंदगी मै दिखती मुस्कील डगर
मे उलझी खामोशिया है....! #NojotoPoem#Khamoshiya
दिन के निकलनेसे खिले खिले आसमा मै 
ढलने का जो आयाम नजराना है,
हर तरफ सुकून शांती रंगो में बिखरी बेसबाब गुंजती खामोशीया है.
हर मोड किस्मत से चलती, खुदकेही छाव का आशियाना है,
महफिल ना रहने से,वजूद मिटते दिल मै भी झलकती खामोशिया है.
कभी तारो के बिच चमकता चांद झुमता तो बिना उनके उदास है,
भटकते राही कि भूचाल सी जिंदगी मै दिखती मुस्कील डगर
मे उलझी खामोशिया है....! #NojotoPoem#Khamoshiya