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दिल बहलाना है , हाज़िर हूं जनाब मैं। अब इंशा कहां

दिल बहलाना है , हाज़िर हूं जनाब मैं।
अब इंशा कहां ,
मशीन हूं साहब मैं।
कहा पता मुझे कि दर्द क्या,
और टूटना दिल का सीने में।
जोड़ा था जदोदहद से मैंने,
फिर थोड़ा तो टूटा ही रख छोड़ा एक उम्मीद में।
कि शायद हाथ बढ़ाओ और जोड़ों,
खैर छोड़ो क्या रखा है? 
इस हिसाब किताब में। #Drops #सांझ_शैलेश #टूटना #बहलाना #मशीनी
दिल बहलाना है , हाज़िर हूं जनाब मैं।
अब इंशा कहां ,
मशीन हूं साहब मैं।
कहा पता मुझे कि दर्द क्या,
और टूटना दिल का सीने में।
जोड़ा था जदोदहद से मैंने,
फिर थोड़ा तो टूटा ही रख छोड़ा एक उम्मीद में।
कि शायद हाथ बढ़ाओ और जोड़ों,
खैर छोड़ो क्या रखा है? 
इस हिसाब किताब में। #Drops #सांझ_शैलेश #टूटना #बहलाना #मशीनी