वफा कैसी, कहा का यें इशक जब इस सुरत-सीरत मे तुमसे वाे मिठास नहीं अौर वाे सुरत ही क्या न जिसें बार-बार देखा जायें वाे इश्क ही क्या जिसमे बार -बार प्यार मांगा जायें वो खुशबु़ ही क्या जो केवल फूल को ही आये और वो इश्क ही कया जो बस इकतरफा हाे जायें ऐ खुदां न बने ये इश़क ऐक समझाैंता काश उसको भी बराबर हुआ होता... .....अरूण चाैहान #NojotoQuote