लिखो, तो नीला रंग लिखना इन आसमां के बादलो में, या फिर सुबह की सुनहरी धूप लिखना काले अंधियारों में, लिखना उस चिड़िया की उड़ानों को जिसके नन्हे पंख फड़फड़ा के रह गए इन कंक्रीट के पहाड़ से ऊंचे मकानों में, लिखना उस भूखे बच्चे की भूख को को जो देखता रहा कूड़े में गिरे पकवानों को, लिखना के कैसे भूल गया बचपन बेफिक्री से उछलना इन सिमटते मैदानों में, लिखना के कैसे बिकती है मासूम कलियां हवस के बाजारों में, लिख सको तो लिखना उन एहसासों को, उन हालातों को मरी कैसे गैरत हम इंसानों में, लिख सको तो लिखना एक बार तुम ये जरूर लिखना... ©दीपिका सिंह #SunSet #नोजोटो #no #nojato