भीड़ अपनों की पर हम उसमें बेगाने दर्द हसीं से, रोना गुस्से से,लगे है छिपाने शौक नहीं हमें ख़ामोशी जताने का अनजान छू लेते हमें , पर इसे शौक समझकर पढ़ लेते हमारे अपने nojoto Maya'shayari# dur se koi apna