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साजिशें तो अपनों की थी, हम आंखें गैरों को दिखाते र

साजिशें तो अपनों की थी, हम आंखें गैरों को दिखाते रहे 
नुमाइश तो उन्होंने की, हम तो  महफिल उनकी सजाते रहे 
वो तो आये ही  थे खरीद फरोख्त करने 
हम ही लगाकर अर्ज़ी,  खुद ही खुद की बोली लगाते रहे Nojoto Maya' shayari # boli
साजिशें तो अपनों की थी, हम आंखें गैरों को दिखाते रहे 
नुमाइश तो उन्होंने की, हम तो  महफिल उनकी सजाते रहे 
वो तो आये ही  थे खरीद फरोख्त करने 
हम ही लगाकर अर्ज़ी,  खुद ही खुद की बोली लगाते रहे Nojoto Maya' shayari # boli
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Maya

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Maya' shayari # boli