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जब हम मैदान में उतरे तो वो सुनसान रहते है हमारे शा

जब हम मैदान में उतरे
तो वो सुनसान रहते है
हमारे शायरी के लब्ज
को अंजान कहते हैं ।।

अशोक सिंह
जब हम मैदान में उतरे
तो वो सुनसान रहते है
हमारे शायरी के लब्ज
को अंजान कहते हैं ।।

अशोक सिंह
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