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घर का खाना याद आता है, मैं जब भी बैठूं भोजन को कंह

घर का खाना याद आता है,
मैं जब भी बैठूं भोजन को कंही
मैं जब भी सोचूं भोजन की कंही
घर का खाना याद आता है,
मैं जब रहूँ भूखा कभी
मैं जब भी चाहूँ खाना कुछ अच्छा कभी
घर का खाना याद आता है,
आज खाता हूं बड़े चाव से, जो न खाया घर पर कभी
खत्म हो गए हैं नखरे सभी,
कुछ सोच कर मन ये व्याकुल हो जाता है
घर का खाना याद आता है। #gharkakhaana#nojotoHindi#nojoto#Hindipoetry
घर का खाना याद आता है,
मैं जब भी बैठूं भोजन को कंही
मैं जब भी सोचूं भोजन की कंही
घर का खाना याद आता है,
मैं जब रहूँ भूखा कभी
मैं जब भी चाहूँ खाना कुछ अच्छा कभी
घर का खाना याद आता है,
आज खाता हूं बड़े चाव से, जो न खाया घर पर कभी
खत्म हो गए हैं नखरे सभी,
कुछ सोच कर मन ये व्याकुल हो जाता है
घर का खाना याद आता है। #gharkakhaana#nojotoHindi#nojoto#Hindipoetry