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धरति कि खुबसुरती को आसमान क्या जाने, कितनो कि खुसि

धरति कि खुबसुरती को आसमान क्या जाने, कितनो कि खुसियो को खाकर बैठा है, वो समसान क्या जाने 
ओर जो कभी प्यार किया हि नहि, तो प्यार क्या होता है ओ इन्सान क्या जाने

©Mithlesh Kumar
  write by m k

write by m k #Shayari

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