खुद को अपनों की खातिर तराशा हर दिन नया हमने, ख्वाइशें कब ज़रूरतों में तब्दील हुईं पता ही ना चला | लम्बा तो था दौर-ए-सफऱ मगर कब अपनी ज़िन्दगी को भी भुला बैठे पता ना चला| ✍️✍️✍️डॉ गरिमा त्यागी #World_Water_Day