चन्द्रमा की धरा पर मैं भी उतरना चाहता हूँ ! स्वप्न रहा शताब्दियों साकार करना चाहता हूँ !! छटा मोहक रूप दुर्लभ है सदा आसीन उरतल , अति प्रकाशित इन्दु उपवन में विचरना चाहता हूँ !! विविध रूप मयंक के प्रति निशा परिवर्तित निशाकर ! ह्रदय जिज्ञासा रही होगा निदान समीप जाकर !! चंद्र की मन मोहिनी छवि को निरंतर कुछ क्षणों तक , प्राण में कर आत्मसात विचार करना चाहता हूँ !! स्वप्न रहा शताब्दियों साकार करना चाहता हूँ ! चन्द्रमा की धरा पर मैं भी उतरना चाहता हूँ !!