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लफ्ज़-ए-माँ को लफ्जो में बांध सकू, हरगिज़ मुमकिन न

लफ्ज़-ए-माँ को लफ्जो में बांध सकू, हरगिज़ मुमकिन नहीं लगता,
मोहब्बत मां की, मां भी करीब हों, काम कोई नामुमकिन नहीं लगता।
शहंशाहों के वो किस्से, बालों का सहलाना कर देती थी मदहोश हमें,
महसूस होती आज भी तेरी महफूज़ वों आगोश हमें।
तेरी चुनरियों की छाव ने जलती धूप में चलना सिखाया
तेरी उंगलियों के सहारे ने गिर कर खुद से उठना सिखाया
शरारतों को तहजीब सिखाती, मिसाल बनी तू सब्र की
इल्तज़ा बस यही कि, तू ही बने मिट्टी मेरे कब्र की!
तू तो वो अफताब है, करीब आने से तपिश गमों की चार-सू हो जाती
चोट लगी तो रूह से निकलती पहली पुकार मां, अम्मी, वालिदा कहलाती... 🥰Meri Ammi🙏

#mother #baby #love #relationship #is #the #purest #thing #in #this #world
लफ्ज़-ए-माँ को लफ्जो में बांध सकू, हरगिज़ मुमकिन नहीं लगता,
मोहब्बत मां की, मां भी करीब हों, काम कोई नामुमकिन नहीं लगता।
शहंशाहों के वो किस्से, बालों का सहलाना कर देती थी मदहोश हमें,
महसूस होती आज भी तेरी महफूज़ वों आगोश हमें।
तेरी चुनरियों की छाव ने जलती धूप में चलना सिखाया
तेरी उंगलियों के सहारे ने गिर कर खुद से उठना सिखाया
शरारतों को तहजीब सिखाती, मिसाल बनी तू सब्र की
इल्तज़ा बस यही कि, तू ही बने मिट्टी मेरे कब्र की!
तू तो वो अफताब है, करीब आने से तपिश गमों की चार-सू हो जाती
चोट लगी तो रूह से निकलती पहली पुकार मां, अम्मी, वालिदा कहलाती... 🥰Meri Ammi🙏

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