मे गज़ल को पड़ता हुआ वो पल जो आज हे - ना किसी के हिस्से का कल जो खुसी को ही पहचांता ओर नही किसी एहसास को जनता #गज़ल हरकत है ये तुमारी #जिसने दिया मुझे करार #लेकिन कुछ हो गया एसा #ज़िसमे कभी करार तो #कभी बेकरार होता हु में