ख़फ़ा न हो मेरे अल्फ़ाज़ों से,मेरे अल्फ़ाज़ बुरे नहीं। कहा जो मैंनें सब फ़रेब था,कहा वो मैंनें दिल से नहीं। माना..हुई है ख़ता तो ख़ता बख़्श दो, या तो छोड़ दो गुस्सा या मुझे सज़ा दो... भले ही घर से भगा दो। पर यूँ ख़ामोश न रहो, थोड़ा-सा तो मुस्कुरा दो। चलो!बहुत हुआ,मेरे क़रीब आओ,रूठो नहीं। मान जाओ,मान ली मैंनें गलती,अब कुछ बोलो तो सही। प्यारे!अब यूँ ख़फ़ा न हो मेरे अल्फ़ाज़ों से, मेरे अल्फ़ाज़ इतने भी बुरे नहीं। "वैसे किसी ने क्या ख़ूब कहा है", जनाब। के ये तो चंद अल्फ़ाज़ है,अल्फ़ाज़ों का क्या। ये या तो दिल को छू जाते है,या दिल ही तोड़ जाते है। ख़ैर!अंत भला तो सब भला, सुनकर मेरे ये अल्फ़ाज़,वो मानें तो सही। ..❤.. ...By MR.Kumar😊 ©MR.KUMAR #KuchhLines:Mere Alfaz Bure Nahi