वो दौर भी कागजी था जनाब बहुत देर तक खतों में जज्बात महफूज रहते थे और अब तो मशीनरी दौर आ गया है जनाब सारी यादें हाथ के अंगूठे से डिलीट कर दी जाती हैं,