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कुछ कहते हैं सीखा हूँ, अपने जख्मों को खुद सीकर, क

कुछ कहते हैं सीखा हूँ, 
अपने जख्मों को खुद सीकर,
कुछ जान गए मैं हँसता हूँ, 
भीतर भीतर आंसू पीकर,
कुछ कहते हैं मैं हूँ, विरोध से 
उपजी इक खुद्दार विजय,
कुछ कहते हैं मैं रचता हूँ,
 खुद में मर कर खुद में जी कर,
लेकिन मैं हर चतुराई की, 
सोची समझी नादानी हूँ,
लव कुश की पीर बिना गायी, 
सीता की राम कहानी हूँ !! #kv
कुछ कहते हैं सीखा हूँ, 
अपने जख्मों को खुद सीकर,
कुछ जान गए मैं हँसता हूँ, 
भीतर भीतर आंसू पीकर,
कुछ कहते हैं मैं हूँ, विरोध से 
उपजी इक खुद्दार विजय,
कुछ कहते हैं मैं रचता हूँ,
 खुद में मर कर खुद में जी कर,
लेकिन मैं हर चतुराई की, 
सोची समझी नादानी हूँ,
लव कुश की पीर बिना गायी, 
सीता की राम कहानी हूँ !! #kv