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चाय और चौपाल पता नहीं कहां खो गयी अब बुजुर्गों की

चाय और चौपाल पता नहीं कहां खो गयी अब बुजुर्गों की टोली जो ,
चौपाल पर बैठ कर गाँव की रौनक हुआ करती थी,,
अब तो केवल गाँव और चौराहों पर दलालों और ,
प्रधानों की चाय की चौपाल लगती है...... Kanchan Tiwari
चाय और चौपाल पता नहीं कहां खो गयी अब बुजुर्गों की टोली जो ,
चौपाल पर बैठ कर गाँव की रौनक हुआ करती थी,,
अब तो केवल गाँव और चौराहों पर दलालों और ,
प्रधानों की चाय की चौपाल लगती है...... Kanchan Tiwari