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बचपन में जितनी बेसब्री से चाहत रही बड़े होने की उत

बचपन में जितनी बेसब्री से चाहत रही बड़े होने की
उतनी शिद्दत से तलब लगती है फिर बचपन में जाने की
मुश्किलों से दो दो हाथ करती हुई हौसलों की किश्ती
 कभी भंवर में उलझती कभी किनारे पर अटकती है 
जल्दबाजी में खो कर बचपना  हुआ नहीं कुछ हासिल 
जिम्मेदारी की धूप ही झुलसाने ही लगती है आखिर
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar धूप Ravi Ranjan Kumar Kausik Neel Lalit Saxena R... Ojha Kiran kumari Bhardwaj Only Budana
बचपन में जितनी बेसब्री से चाहत रही बड़े होने की
उतनी शिद्दत से तलब लगती है फिर बचपन में जाने की
मुश्किलों से दो दो हाथ करती हुई हौसलों की किश्ती
 कभी भंवर में उलझती कभी किनारे पर अटकती है 
जल्दबाजी में खो कर बचपना  हुआ नहीं कुछ हासिल 
जिम्मेदारी की धूप ही झुलसाने ही लगती है आखिर
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar धूप Ravi Ranjan Kumar Kausik Neel Lalit Saxena R... Ojha Kiran kumari Bhardwaj Only Budana
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Babli Gurjar

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