शहर शहर शहर यह शहर अब अपना सा नहीं लगता तुम जो छोड़ गए हो इसको । अब तो बस गलियों में आना जाना है पर यह गलियां सुनसान सी लगती है । तुम जो नहीं हो । मेला तो लगा है, लोगों का पर उस मेले में मैं अकेला तेरे बिना तुझी को याद करता फिर रहा हूं । बस अब लौट आ मेरे शहर तो वापस बस अब लौट आ वापस। अब लौट आओ अपने शहर। #WordofTheDay #mohabbatein #nojotopoetry #poetry #yaadein