खाश दीवाली
बिखर सा मैं जाऊँ, जब हर तास दीवाली हो,
नम हो जाती हैं आँखे, जब एहसास दीवाली हो।
हाँ दिये जला रखें हैं मैंने भी इस छोटे कमरे में,
घर से हूँ दूर तो कैसे कहूँ की खाश दीवाली हो।
बीती बातों की लहर सी झूम उठती है,
जब संग में कोई हमराज दीवाली हो।
यूँ तो हँसने का त्योहार है मगर, जब नाम हो आंखे तो, #Diwali#Family#परिवार#अकेलापन