लबों पे है हँसी और दिल में छुपाती हूँ गम कई, रोज का किस्सा है ये तो नहीं है कोई बात नई। आदत सी हो गई है तेरी रुसवाइयों की सनम, तेरी हर गलत बात भी लगने लगी है मुझे सही। नेह के डोरी कच्ची थी फिर भी न तोड़ पाई, रिश्तों के बोझ तले इस कदर मैं दबती गई। न प्यार था न ही थे जज़्बात कोई हमारे बीच, फिर भी लबों पे लिए मुस्कुराहट मैं जीती रही। तूफान दर्द का दिल में उठा और उठे सवाल भी, पर 'स्नेहा' ने दिल की बात नहीं किसी से न कहीं। #स्नेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली