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शाम होती है तो, पलकों पे सजाता है मुझे; वो चिराग़ो

शाम होती है तो, पलकों पे सजाता है मुझे;
वो चिराग़ों की तरह, रोज़ जलाता है मुझे!

मैं हूँ, ये कम तो नहीं है तेरे होने की दलील;
मेरा होना, तेरा एहसास दिलाता है मुझे!

अब किसी शख़्स में, सच सुनने की हिम्मत है कहाँ;
मुश्किलों ही से कोई, पास बिठाता है मुझे!
- Rahul Kavi wjh tm ho..

#HEARTSBOKEH
शाम होती है तो, पलकों पे सजाता है मुझे;
वो चिराग़ों की तरह, रोज़ जलाता है मुझे!

मैं हूँ, ये कम तो नहीं है तेरे होने की दलील;
मेरा होना, तेरा एहसास दिलाता है मुझे!

अब किसी शख़्स में, सच सुनने की हिम्मत है कहाँ;
मुश्किलों ही से कोई, पास बिठाता है मुझे!
- Rahul Kavi wjh tm ho..

#HEARTSBOKEH
rahulkavi4076

Rahul Kavi

New Creator

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