शाम होती है तो, पलकों पे सजाता है मुझे; वो चिराग़ों की तरह, रोज़ जलाता है मुझे! मैं हूँ, ये कम तो नहीं है तेरे होने की दलील; मेरा होना, तेरा एहसास दिलाता है मुझे! अब किसी शख़्स में, सच सुनने की हिम्मत है कहाँ; मुश्किलों ही से कोई, पास बिठाता है मुझे! - Rahul Kavi wjh tm ho.. #HEARTSBOKEH