दोस्तों एक खत लिखा है खास अध्यापक के नाम... रंग - भेद है कदम -कदम पर कर सको तो इंकार करो। जो रह न पाए, खुद पर काबू मेरे वचनों को स्वीकार करो ! जो मेरा नाम ले -ले कर माहौल बनाए बैठे हो भरी महफ़िल में , बेवजह बदनाम कराए बैठे हो कभी फुर्सत मिले फुर्सत से , तो हमसे मिल लीजियेगा कितने बरसो से आपकी तारीफ में अलफ़ाज़ दबाये बैठे है। to my own teacher😁😁😁