story जिंदगी ये नही जिंदगी तो वो थी जो हम जी चुके जब मम्मी सुबह डांट कर उठाती थी, खुद तैयार कर स्कूल छोड कर आती थी, लौकी-तौरी ना खाने पर खूब सुनाती थी फिर थोडी थोडी लगाकर खाले ऐसा कहकर खुद खिलाती थी, क्या दिन थे वो जब कल का कुछ पता ही नही था, हफ्ते महीने ये तो हम केवल कॉपीयो मे लिखा करते थे कहा फंस गये समझदारी के इस दलदल मे, आज यहां साल के 365 दिन भी कम और तब स्कूल के 6 दिन भी 365 से दिखा करते थे | #Story #nojoto bite lamho ki yaad