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कुछ दिखा, पर धुंधला सा है रंग कही, कही बदला सा है

कुछ दिखा, पर धुंधला सा है
रंग कही, कही  बदला सा है 

देख  रहे  परवाने  जिसको ,
बचा  यहां  सब  नया  सा है

ओझल  है, आंखो में  सबके
दिखा नहीं,कोई ख्वाब सा है

एक साथी है, कई  रंग  लिए
वो बेकार नही  कमाल सा है

कुछ दिखा, पर धुंधला सा है
रंग कही, कही  बदला सा है

©Akshita Jangid(poetess) #moonlight
कुछ दिखा, पर धुंधला सा है
रंग कही, कही  बदला सा है 

देख  रहे  परवाने  जिसको ,
बचा  यहां  सब  नया  सा है

ओझल  है, आंखो में  सबके
दिखा नहीं,कोई ख्वाब सा है

एक साथी है, कई  रंग  लिए
वो बेकार नही  कमाल सा है

कुछ दिखा, पर धुंधला सा है
रंग कही, कही  बदला सा है

©Akshita Jangid(poetess) #moonlight