मोहम्मद इक़बाल तस्कीनतसल्ली न हो जिस से वो राज़ बदल डालो जो राज़ न रख पाए हमराज़ बदल डालो तुम ने भी सुनी होगी बड़ी आम कहावत है अंजाम का जो हो खतरा आगाज़शुरुआत बदल डालो पुर-सोज़दु:खी दिलों को जो मुस्कान न दे पाए सुर ही न मिले जिस में वो साज़ बदल डालो दुश्मन के इरादों को है ज़ाहिर अगर करना तुम खेल वो ही खेलो, अंदाज़ बदल डालो ऐ दोस्त! करो हिम्मत कुछ दूर सवेरा है गर चाहते हो मंजिल तो परवाज़उड़ान बदल डालो