मन किया ,आज वो किया इक पुरानी ,डायरी को अरे मैंने संदूक से निकाल दिया मेरे जख्मों पर ,डायरी नमक बन गई , पढे कुछ पन्ने मैंने ऐसे यारों पुराने दिन, वो बाते ,सब ताजा हो गई