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पर्वतों को पार कर, मन प्रफुल्लित हो जाता इन वादियो

पर्वतों को पार कर, मन प्रफुल्लित हो जाता इन वादियों में आकर,
फूले न समाता प्रकृति में समा कर,
ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है,
हमें तो इससे सुंदर कुछ ना दिखा है,
नदी, झील, झरना, पहाड़ सब है बेमिसाल,
फूलों का रंग ,फलों का स्वाद कुदरत की क्या बात,
पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु,
वृक्ष की टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते,
पानी प्यास बुझाता, हवा प्राणवायु दे जाता,
न कोई किसी से कम है, न कोई किसी से ज्यादा, 
कुदरत ने क्या संसार बनाया,
मेरा तो मन फूले नहीं समाता,
जब मैं खुद को इन सब के बीच पाता,
लेकिन इन सब में ईश्वर की सबसे अच्छी कृति
मैं ही तो हूं, जो इन वादियों के बारे में आपको बताता। मन #प्रफुल्लित हो जाता इन #वादियों में आकर,
फूले न समाता #प्रकृति में समा कर,
ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है,
हमें तो इससे #सुंदर कुछ ना दिखा है,
#नदी, #झील, #झरना या #पहाड़ सब है #बेमिसाल,
फूलों का रंग या फलों का स्वाद #कुदरत की क्या बात,
पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु,
वृक्ष की #टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते,
पर्वतों को पार कर, मन प्रफुल्लित हो जाता इन वादियों में आकर,
फूले न समाता प्रकृति में समा कर,
ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है,
हमें तो इससे सुंदर कुछ ना दिखा है,
नदी, झील, झरना, पहाड़ सब है बेमिसाल,
फूलों का रंग ,फलों का स्वाद कुदरत की क्या बात,
पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु,
वृक्ष की टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते,
पानी प्यास बुझाता, हवा प्राणवायु दे जाता,
न कोई किसी से कम है, न कोई किसी से ज्यादा, 
कुदरत ने क्या संसार बनाया,
मेरा तो मन फूले नहीं समाता,
जब मैं खुद को इन सब के बीच पाता,
लेकिन इन सब में ईश्वर की सबसे अच्छी कृति
मैं ही तो हूं, जो इन वादियों के बारे में आपको बताता। मन #प्रफुल्लित हो जाता इन #वादियों में आकर,
फूले न समाता #प्रकृति में समा कर,
ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है,
हमें तो इससे #सुंदर कुछ ना दिखा है,
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फूलों का रंग या फलों का स्वाद #कुदरत की क्या बात,
पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु,
वृक्ष की #टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते,

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