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सब्र की आख़री हद तक कमाल रखा है, ज़िन्दगी दर्द तेर

सब्र की आख़री हद तक कमाल रखा है,
ज़िन्दगी  दर्द  तेरा  हमने  पाल  रखा  है..

तसव्वुरात की औक़ात क्या है जब हमने,
ख़्वाब के ख़ौफ़ से नींदों को टाल रखा है..

सियासतों के सियाह मज़हबी तिलिस्मों ने,
हर एक शख़्स को धोखे में डाल रखा है..

किसी के हाथ लगे या ज़मीं पे जा बिखरे,
हवा में हमने 'फ़हद' दिल उछाल रखा है.. #poetry #thesecondthought
सब्र की आख़री हद तक कमाल रखा है,
ज़िन्दगी  दर्द  तेरा  हमने  पाल  रखा  है..

तसव्वुरात की औक़ात क्या है जब हमने,
ख़्वाब के ख़ौफ़ से नींदों को टाल रखा है..

सियासतों के सियाह मज़हबी तिलिस्मों ने,
हर एक शख़्स को धोखे में डाल रखा है..

किसी के हाथ लगे या ज़मीं पे जा बिखरे,
हवा में हमने 'फ़हद' दिल उछाल रखा है.. #poetry #thesecondthought