White जब पास कहने को कुछ नहीं होता पीता के सवालों पर पिता के आंखों में दबी नमी दिल को खलता है। ऐसा नहीं लड़का मेहनत नहीं करता है। कभी कभी खुदकुशी भीं करता है। लड़का बस मां बाप के ख्वाहिशों पर मारता है। मैने खुद को देखा है बहन की खुशी पर इतना खुश खैर ये बात कहां कोई समझता है। छोटी मोटी विरह में भी लड़का अकेला ही चलता है असफलता के मायूसी में फूट फूट कर रोता है। बार बार समाज उसकी कितनी परीक्षाएं लेता है लड़का होना कितना सच में कितना कठिन होता है। ©यशवंत गुप्त खयाल