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मैं लिखती हूं खुद को , शब्दों में अक्सर किसी के नज

 मैं लिखती हूं खुद को , शब्दों में अक्सर
किसी के नजर का , असर मांगते
ढलता सूरज फलक में , हसी है जो
उसकी एक प्यारी सी , झलक मांगते

अब तो डर लगता है , मुझको 
दुआ , मांगते मांगते
रूठ ना जाए , खुदा मुझसे
 मैं लिखती हूं खुद को , शब्दों में अक्सर
किसी के नजर का , असर मांगते
ढलता सूरज फलक में , हसी है जो
उसकी एक प्यारी सी , झलक मांगते

अब तो डर लगता है , मुझको 
दुआ , मांगते मांगते
रूठ ना जाए , खुदा मुझसे

मैं लिखती हूं खुद को , शब्दों में अक्सर किसी के नजर का , असर मांगते ढलता सूरज फलक में , हसी है जो उसकी एक प्यारी सी , झलक मांगते अब तो डर लगता है , मुझको दुआ , मांगते मांगते रूठ ना जाए , खुदा मुझसे #कविता