सांसो में घुली है तेरी एहसास की नमी, हर लम्हा महसूस करता हूँ तेरी कमी। सहसा सिहर उठता हूँ पढ़कर तेरी इश्तेहार, अब तो रंगत-ए-इश्क़ लगने लगा है गुनाहगार। गर्दिश-ए-इश्क़ में क्या खोया क्या पाया, रुसवाई में टूटा इस कदर कर नही सकता जाया। फिजूल सी लगने लगी है तेरी सब मुलाकाते, सहमी-सहमी कटती है हिज्र की ये तन्हा राते। दिल के सारे जज्बात अब कैद से हो गये, आरजू में तेरी आँसुओ के सैलाब गहरे जख्म दे गये। सजदे में तेरी रोज करता हूँ रब की इबादत, पर तू तो किसी और की करने में लगी हो इनायत। @आशुतोष यादव #hugday sheetal pandya मेरे शब्द Ramjeet Sharma(Mr. Wow🙈😍) Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"