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#OpenPoetry झलक उसकी पलक भर की, सुकून-ए-दिल निशान

#OpenPoetry झलक उसकी पलक भर की,
 सुकून-ए-दिल निशानी थी।
 न गुजरे दिन बिना उसके,
 ये रातें भी सयानी थी।
आलम ये हुआ कैसे?
न कुछ मालूम था हमको,
कथानक था मैं उसका तो,
वो मेरी ही कहानी थी।
अरुण शुक्ल "अर्जुन"
प्रयागराज Ritika Gupta Ishita Negi Ankrita Tiwari Lakshmi singh khushi
#OpenPoetry झलक उसकी पलक भर की,
 सुकून-ए-दिल निशानी थी।
 न गुजरे दिन बिना उसके,
 ये रातें भी सयानी थी।
आलम ये हुआ कैसे?
न कुछ मालूम था हमको,
कथानक था मैं उसका तो,
वो मेरी ही कहानी थी।
अरुण शुक्ल "अर्जुन"
प्रयागराज Ritika Gupta Ishita Negi Ankrita Tiwari Lakshmi singh khushi