हारना भी तय नहीं है और जीतना भी मुश्किल है ये तुम हो या मैं हूँ कुछ कहना भी मुश्किल है भरोसा भी दिलाऊँ और बदनाम भी हो जाऊं यहाँ चलना भी आसान नहीं और संभलना भी मुश्किल है ZinDagi-e-SaGar www.zindagiesagar.com #mushkil #poetry हारना भी तय नहीं है और जीतना भी मुश्किल है ये तुम हो या मैं हूँ कुछ कहना भी मुश्किल है भरोसा भी दिलाऊँ