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(मैं महज 3 साल कि थी) मैं महज 3 साल कि थी इंसानो म

(मैं महज 3 साल कि थी) मैं महज 3 साल कि थी
इंसानो में छुपे हैवानो से 
अन्जानी थी

घर से बाहर अपने मैं 
खुशी से चहक रही थी 
शायद खुशी मेरी उसे 
खटक रही थी
(मैं महज 3 साल कि थी) मैं महज 3 साल कि थी
इंसानो में छुपे हैवानो से 
अन्जानी थी

घर से बाहर अपने मैं 
खुशी से चहक रही थी 
शायद खुशी मेरी उसे 
खटक रही थी
shwetasingh1932

Shweta Singh

Bronze Star
New Creator

मैं महज 3 साल कि थी इंसानो में छुपे हैवानो से अन्जानी थी घर से बाहर अपने मैं खुशी से चहक रही थी शायद खुशी मेरी उसे खटक रही थी #Poetry #Quotes #HUmanity #poem #hindiquotes #nojotohindi #kalakaksh #TST #Nojotomumbai