अजिब सा रिशता होता है ईशक का, हम जितना उनसे दूर जाते हैं, वो उतना ही हमारे पास आ जाते हैं।। क्यों चाह कर भी भूला नहीं पाते हम उनको, क्यों अंजान होकर भी वो सबसे खास हो जाते हैं।।