एकदम नयी क़िताब थी, क़िताब मेरी थी क़िताब का बाहरी हिस्सा बिल्कुल श्वेता था, मैंने अभी क़िताब पूरी नहीं पढ़ी थी, किसी कारण वो क़िताब मुझसे अलग हो गयी, उसके बिछड़ने पर मैंने उसे बहुत याद किया, बहुत... कई दिनों बाद ये क़िताब मेरे पास वापस लौटी, लेकिन.. लेकिन वो क़िताब अब श्वेत नहीं लगता, अब ये बहुत धुंधला और गंदला सा हो गया है, सियाही से जहाँ तहाँ निशान लगे हुए हैं, कुछ पन्ने मुड़े हुए है, और... और कुछ फटे हुए, ऐसा नहीं है कि वो क़िताब किसी ने बिना पूछे ली थी, क़िताब मैंने ही दी थी, अपनी ईच्छा से, क़िताब अब मेरे पहलू में है, जब मैंने उसे छुआ, तो मेरी छुअन को वो क़िताब मानो महसूस रहा है, और उसका हर तन्तु मुझसे सवाल किए जा रहा है कि क्यों तुमने मुझे अपने आप से दूर कर दिया? क्यों नहीं तुमने मुझे अपने पास ही रहने दिया? मुझे उसके हाथों में सौंपने से पहले कम-से-कम एक बार मुझसे भी तो मेरी मर्ज़ी पूछ लेते, की अखिर मेरी मर्ज़ी क्या है? देखो ना, उसने मेरी ये क्या हालत कर दी है दोस्त? क़िताब की हालत मेरी ईन आँखों ने देखी, और वेदना हृदय में हुई! -Durgeshwari_mahto #feelings #books #love #hindilove