पंछी पंख नहीं है मेरे, किसी ने काट दिए हैं कैसे उडूं मैं ये नीला आसमान मुझे बुलाता है पंछियों को देखो ये ऊंची उड़ान भरते है दुनिया के रंग देखते है पर मैं कैसे देखूं कैसे उड़ूं मैं ये नीला आसमान मुझे बुलाता है इक पिंजरे में ही कैद होके रह गई हूं मैं जो पिंजरा मुझे ना भाता है कैसे उड़ूं मैं ये नीला आसमान मुझे बुलाता है दाना पानी सब कुछ है यहां मैं दाने के लिए भटकना चाहती हूं बहते झरनों का मीठा जल मैं भी पीना चाहती हूं कैसे उड़ूं मैं ये नीला आसमान मुझे बुलाता है मैं भी पंछियों के झुंड में रहना चाहती हूं खुले आसमान के तले जीना चाहती हूं धूप बारिशों से.. मैं भी खेलना चाहती हूं कैसे उड़ूं मैं ये नीला आसमान मुझे बुलाता है ©Swati kashyap #पंछी#mywords#nojotohindi#nojotowriter#nojotopoetry#nojotonews